कर्तव्य की निष्ठा संकटों को झेलने में दुःख उठाने में और जीवनभर संघर्ष करने में ही समाविष्ट है।

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यश अपयश तो मात्र योगायोग की बातें हैं।

– विनायक दामोदर सावरकर जी

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